जम्मू एवं कश्मीर प्रभाग
अधिनियम एवं नियम
क्रम संख्या | शीर्षक | डाउनलोड/लिंक |
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1 | सशस्त्र बल (जम्मू एवं कश्मीर) विशेष शक्तियां अधिनियम 1990 | डाउनलोड (87.61 KB)  |
परिदृश्य
- भारत का अभिन्नर अंग – जम्मू एवं कश्मीमर राज्य भारत के उत्तारी भाग में अवस्थित है राजधानी श्रीनगर (ग्रीष्म कालीन) और जम्मू (शीत कालीन)
- विश्व के सुन्दरतम स्थानों में से एक – हिमालय की हिमाच्छादित चोटियां और ग्लेशियर, पुरातन नदियां एवं घाटियां, घने सदाबहार वन, ताजी पहाड़ी हवा – धरती पर स्वर्ग के रूप में विख्यात
- इसकी पश्चिमी सीमा पर पाकिस्तान, उत्तर और पूर्व में चीन और दक्षिणी सीमा पर भारत के पंजाब एवं हिमाचल प्रदेश राज्य हैं।
- इसके तीन मुख्य भाग हैं – कश्मीर घाटी, जम्मू और लद्दाख/तीनों क्षेत्रों का क्षेत्रफल और जनसंख्या निम्नलिखित है-
क्षेत्र | क्षेत्रफल (वर्गमील) | जनसंख्याल (2001 की जनगणना) |
कश्मीर घाटी | 8,639 | 5,476,970 |
जम्मू क्षेत्र | 12,378 | 4,430,191 |
लद्धाख क्षेत्र | 33,554 | 236,539 |
कुल | 54,571 | 10,143,700 |
- भाषाएं – कश्मीरी, डोगरी, पहाड़ी, पंजाबी, गोजरी, लद्दाखी या बोधी, बाल्ती, दार्दिक
जम्मू–कश्मीर के जिला
- जम्मू एवं कश्मीर 22 जिलों में विभाजित है और वे हैं जम्मू संभाग में जम्मू , कठुआ, उधमपुर, पुंछ, राजौरी, डोडा, किश्तिवाड़*, रामबन*, रियासी और साम्बा तथा श्रीनगर संभाग में श्रीनगर – बड़गाम, अनन्त्नाग, पुलवामा, बारामूला, कुपवाड़ा, बान्दीयपुरा*, गन्धगरबल*, कुलगाम* और शोफियान तथा लद्दाख क्षेत्र में – कारगिल और लेह।
इतिहास एवं सभ्यता
- युगों से हिन्दुत्व, बौद्ध और इस्लाम के धार्मिक एवं सांस्कृतिक प्रभाव का संगम
- प्राचीनतम लिखित विस्तृत इतिहास – कल्हलण रचित – राजतरंगिणी – 12 वीं शताब्दीस ए.डी.
- अशोक महान के साम्राज्य का एक भाग रहा – तीसरी शताब्दी – बौद्ध धर्म का आगमन – कुषाणों के शासनकाल में पुष्पित – पल्लभवित
- उज्जैन के विक्रमादित्य के अधीन – 6वीं शताब्दी – हिन्दुत्व की वापसी – ललितादित्यग- हिन्दू शासक – 697 से 738 ईस्वी तक – अवन्तिवर्मन ललितादित्यक का उत्तरराधिकारी – श्रीनगर के निकट अनन्तिपुरम स्थाकपित किया।
- गणपत्यार एवं खीर भवानी मन्दिर – महाभारत युग
- गिलगित हस्त लिपि – प्राचीन पाली (बौद्ध) लिपि
- त्रिखा शास्त्रर – कश्मीर में उत्पबत्ति – सहिष्णुतता दर्शन
- मुस्लिम शासन – 14वीं शताब्दी से – पर्सिया से सूफी इस्लाम का आगमन
- ऋषि परम्परा – त्रिखा शास्त्र एवं सूफी इस्लाम का संगम – कश्मीरियत की शुरूआत – भारतीय लोकाचार न कि रूढिवादी की सांस्कृतिक प्रशाखा
- मुगल अधिपत्य – अकबर महान 1589 ईस्वी
- मुगल साम्राज्य का विखण्ड्न होने के पश्चात पठानों द्वारा अधिपत्य – अज्ञात युग
- पंजाब के शासक महाराजा रणजीत सिंह द्वारा पठानों को हराना, - 1814 ईस्वी
- अंग्रेजों के हाथों सिखों की हार – लाहौर की सन्धि – 1846 ईस्वी – ब्रिटिश शासको द्वारा अधिष्ठा्पित – गुलाब सिंह – कश्मीर का स्वतंत्र शासक बना
- ब्रिटिश राजनीतिक एजेन्ट के अधीन गिलगित एजेन्सी – कश्मीर न्यायालय से गिलगित क्षेत्र
- अंग्रेजों द्वारा जम्मू – कश्मीर में रीजेन्टस की नियुक्ति
- गुलाब सिंह के प्रपोत्र हरि सिंह 1925 ई0 में राजा बने – उनका शासन 1947 तक रहा।
राज्यारोहण एवं समीकरण
- ब्रिटिश भारत का बंटवारा- 1947 संप्रभुता के सिद्धान्त 5 के अन्तर्गत ब्रिटिश शासक द्वारा संरक्षित – 560 अर्धस्वतंत्र प्रिन्सली स्टेट्स – 1858
- कैबिनेट मिशन ज्ञापन – भारत स्वतंत्रता अधिनियम, 1947 – सर्वोच्च शासन की समाप्ति – राज्यो के सभी अधिकार वापस – राज्यों को संघीय शासन या ब्रिटिश भारत की उत्तरवर्ती सरकार (सरकारों) द्वारा विशिष्ट राजनीतिक व्य्वस्था – भारत एवं पाकिस्तारन में जाने का अधिकार
- कश्मीर के महाराजा हरि सिंह द्वारा भारत और पाकिस्तान के बीच यथास्थिति करार को पसन्द करना – पाकिस्तान के साथ करार पर हस्ताक्षर करते है।
- भारत के साथ करार पर हस्तााक्षर करने से पहले पाकिस्तान कश्मीर को आवश्यक वस्तुओं की आपूर्ति रोक देता है – यथास्थिति करार का उल्लंघन राज्यारोहण पर बल देने के लिए दबाब की रणनीति
- दवाब की रणनीति असफल हो जाती है – पाकिस्तान पठान जनजातियों द्वारा कश्मीर पर आक्रमण करने को उकसाता है, उत्प्रेरित करता है और सहायता प्रदान करता है – हरि सिंह भारत से सहायता के लिए अनुरोध करते हैं – अक्टूबर 24, 1947
- ब्रिटिश भारत का बंटवारा - 1947 सम्प्रभुता के सिद्धान्त के अन्तर्गत ब्रिटिश शासक द्वारा संरक्षित – 560 अर्धस्वतंत्र प्रिंसली स्टेट्स - 1858
- नेशनल कान्फ्रेंस – सबसे बड़ा लोकप्रिय संगठन भी भारत से अपील करता है।
- हरि सिंह, भारत के गवर्नर जनरल लार्ड माउण्टतबेटन को कश्मीर समस्या के संबंध में एक पत्र लिखते हैं भारत में विलयन की बात अभिव्यक्त करते हैं- माउण्टरबेटन इसे स्वीसकार कर लेते हैं – 27 अक्टूंबर 1947
- विलयन – भारत सरकार अधिनियम, 1935 और भारतीय स्वरतंत्रता अधिनियम, 1947 – यदि किसी राज्य शासक द्वारा निष्पादित विलयन के करार पर हस्ताक्षर कर दिए गए है और उसे भारत के गवर्नर जनरल द्वारा स्वीरकार कर लिया गया है तो उस राज्य को भारत अधिराज्य में शामिल हुआ माना जाएगा।
- विलयन करार में शामिल होने के हरिसिंह के प्राधिकार पर पाकिस्तान ने कोई आपत्ति नहीं की कश्मीर का भारत में विलयन विधिक है।
- पठान आक्रमणकारियों का विरोध करने के लिए भारत अपनी सेना भेजता है – 27 अक्टूबर 1947
संयुक्त राष्ट्र
- भारत ने संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद में कश्मीर का मुद्दा उठाया – 1 जनवरी 1948
- परिषद ने भारत और पाकिस्तान से – हालात सुधारने के उपाय करने – प्रत्येक भौतिक परिवर्तन की जानकारी देने की अपील की – 17 जनवरी 1948
- भारत और पाकिस्तान के लिए एक त्रिसदस्यीय संयुक्त राष्ट्र आयोग (यू एन सी आई पी) – विवाद की छानबीन करने 20 जनवरी 1948 – सदस्य्ता बढ़ाई गई – 21 अप्रैल 1948
- आपातकालीन प्रशासन – शेख अब्दुल्लाल के नेतृत्व में अन्त्रिम सरकार प्रतिस्थापित – 5 मार्च 1948
- यू एन आई सी पी ने संकल्प पारित किया – 13 अगस्त 1948 – युद्ध विराम – पाक सेना और सभी बाहरी तत्वों की वापसी इसके पश्चात भारतीय सेनाए हटाई गयी – जम्मू और कश्मी्र के भविष्य का निर्धारण आम राय द्वारा करने का निश्चय – प्रस्तावित जनमत संग्रह इस शर्त पर था कि संपूर्ण जम्मू एवं कश्मीर से पाक सेनाएं हटा दी जाएंगी – जो कभी नहीं हुआ।
- संयुक्त राष्ट्र के तत्वाधान में युद्ध विराम की उद्घोषणा – 1 जनवरी 1949
- यू एन सी आई पी संकल्प – 5 जनवरी 1949 – 13 अगस्त 1948 के संकल्प को पुन: दोहराया गया – महा सचिव द्वारा जनमत संग्रह प्रशासक की नियुक्ति का प्रावधान करना
विकासात्मक वर्ष
- अखिल जम्मू एवं कश्मीर नेशनल कान्फ्रेंस – संकल्प – संविधान सभा का गठन व्यस्क मताधिकार – भारत में इसके विलय सहित इसके भविष्य की स्थिति और सहबद्धता का निर्धारण करने – एक संविधान बनाने के लिए - अक्टूबर 1950
- चुनाव के पश्चात संविधान सभा गठित की गई – सितम्बर 1951
- ऐतिहासिक दिल्ली करार – कश्मी री नेताओं और भारत सरकार – जम्मू एवं कश्मीर राज्य तथा भारत संघ के बीच संवैधानिक संबंधों की डायनामिक प्रवृति – भारत में इसके विलय की पुन: पुष्टि की गई – 24 जुलाई 1952
- संविधान सभा द्वारा जम्मू एवं कश्मीर – के संविधान को अंगीकार किया गया – नवंबर 1956 – प्रभावी हुआ – 26 जनवरी 1957
- राज्य में प्रथम आम चुनाव आयोजित कराए गए नेशनल कान्फ्रेंस ने शेख अब्दुल्ला के नेतृत्व में लोकप्रिय सरकार की स्थापना की गई – मार्च 1957
- राज्य विधायिका ने एकमत से निर्णय लिया चुनाव आयोग और भारत के उच्चतम न्यायालय के क्षेत्राधिकार का विस्तार जम्मू एवं कश्मीर राज्य तक करने के लिए राज्य संविधान में संशोधन किया जाए – 1959
- राज्य में द्वितीय आम चुनाव कराए गए – शेख अब्दुल्लात फिर सत्तारूढ़ हुए – 1962
हजरतबल दरगाह से पवित्र अवशेषों की चोरी
- दिसम्बर 1963 दुर्भाग्यपूर्ण घटना – हजरतबल दरगाह से पवित्र अवशेषों की चोरी – मौलवी फारूख के नेतृत्व में बनी एक एक्शन कमेटी ने व्यायपक आन्दोलन शुरू किया – पवित्र अवशेष प्राप्त कर लिए गए और पुन:स्थापित किए गए।
पाकिस्तान के साथ युद्ध
- जम्मू एवं कश्मीर में घुसपैठियों की घुसपैठ – अगस्त 1965 – इसके पश्चात पाकिस्तान की सशस्त्र सेनाओं द्वारा हमला
- भारत की सशस्त्र सेनाओं द्वारा हमले का जबरदस्त विरोध
- भारत एवं पाकिस्तान के बीच ताशकंद समझौते पर हस्ताक्षर – 10 जनवरी 1966
राजनीतिक एकीकरण
- राज्य विधान सभा के तृतीय आम चुनावों का आयोजन – कांग्रेस सरकार बनी – मार्च 1967
- चतुर्थ आम चुनावों का आयोजन – जमात – ए- इस्लामी पहली बार आम चुनावों में शामिल हुई – 5 सीटों पर विजय हासिल की – कांग्रेस की सरकार बनी – फरवरी 1972
- ऐतिहासिक शिमला करार – भारत और पाकिस्तान के बीच कश्मीर से जुड़े सभी मुद्दों का हल द्विपक्षीय ढंग से निपटाना – युद्ध विराम रेखा, नियंत्रण रेखा (एल ओ सी) में परिवर्तित 3 जुलाई 1972
- कश्मीर समझौता – भारत के प्रधानमंत्री – समय को बदला नहीं जा सकता कश्मीरी नेतृत्व – जम्मू एवं कश्मीर राज्य का भारत में विलय कोई मुद्दा नहीं है – फरवरी 1975
- शेख अब्दुल्ला मुख्य मंत्री बने – जनमत संग्रह फ्रंट का गठन और नेशनल कांफ्रेस में विलय – जुलाई 1975
- पांचवे आम चुनावों का आयोजन – नेशनल कांफ्रेस सत्ता– में आई – 68% मतदान – जुलाई 1977
- शेख अब्दुल्ला का निधन – 8 सितम्बर 1982 – पुत्र डा. फारूख अब्दुल्ला ने मुख्य मंत्री के रूप में शपथ ग्रहण की – छठे आम चुनाव मे नेशनल कांफ्रेस को फिर विजय मिली – जून 1983
- वर्ष 1984 में लोक सभा के आम चुनाव हुए मतदान प्रतिशत 62.72
- राज्य् में दिनांक 6.9.1986 को राज्यपाल का शासन और बाद में राष्ट्रपति शासन लागू
- राष्ट्रपति शासन समाप्त और कांग्रेस आई एवं एन सी एफ की गठबंधन सरकार का गठन दिनांक 7.11.1986
- मार्च, 1987 में राज्य विधान सभा के चुनाव कराए गए जिसमें कांग्रेस और नेशनल कान्फ्रेंस को 76 में से 66 सीटों पर विजय हासिल हुई और गठबंधन सरकार का गठन
- राज्य सरकार ने त्यागपत्र दे दिया और नवम्बर 1989 में लोक सभा के आम चुनाव कराए गए मतदान प्रतिशत 31.61
- राज्य में दिनांक 19.1.1990 को राज्यपाल का शासन और बाद में 18.07.1990 को राष्ट्रपति शासन लागू
- मई, 1996 में लोक सभा के आम चुनाव कराए गए मतदान प्रतिशत 49.02 रहा
- सितम्बर 1996 में राज्य विधान सभा के चुनाव कराए गए और नेशनल कांफ्रेस ने सरकार बनाई। मतदान प्रतिशत 54.04
- फरवरी – मार्च 1998 में लोक सभा के आम चुनाव कराए गए मतदान प्रतिशत 44.42
- सितम्बर – अक्टूबर 1999 में लोकसभा के आम चुनाव कराए गए मतदान प्रतिशत 32.40
- राज्य में जनवरी – जून 2001 के दौरान पंचायत चुनाव कराए गए मतदान प्रतिशत 53.18
- 1999 में भी लोक सभा के चुनाव कराए गए जिनमें मतदान प्रतिशत 32.40 रहा।
- वर्ष 2002 में राज्य विधान सभा के चुनाव कराए गए मतदान प्रतिशत 44.62 रहा। सत्ता रूढ दल नेशनल कांफ्रेंस की करारी हार। राज्य में भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस (आई) और पीपुल्स डेमोक्रेटिक पार्टी तथा अन्य छोटी-छोटी पार्टियों ने मिलकर नवम्बर 2002 में गठबंधन सरकार बनाई।
- अप्रैल – मई 2004 में लोक सभा के आम चुनाव कराए गए मतदान प्रतिशत 35.21 रहा
- जनवरी – फरवरी 2005 में पौर चुनाव कराए गए। मतदान प्रतिशत 48 रहा।
- अप्रैल 2006 में विधान सभा के चार निर्वाचन क्षेत्रों में उप-चुनाव कराए गए जिनमें मतदान प्रतिशत 62 और 76 रहा जो राज्य का अब तक का सबसे बड़ा मतदान प्रतिशत है।
- नवम्बर – दिसम्बर 2008 में राज्य विधान मंडल के चुनाव कराए गए मतदान प्रतिशत 61.49 रहा। नेशनल कांफ्रेस ने, अकेली सबसे बड़ी पार्टी होने के कारण, भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस के साथ मिलकर गठबंधन सरकार बनाई।
- अप्रैल – मई 2009 में लोक सभा के आम चुनाव कराए गए। मतदान प्रतिशत 39.90 रहा।
समाज के विभिन्न वर्गों के लिए प्रधान मंत्री द्वारा घोषित पैकेज
राज्य में समाज के विभिन्न वर्गों में विश्वास सृजित करने के उपायों पर कार्य समूह -। की रिपोर्ट एवं सिफारिशों के आधार पर प्रधानमंत्री जी ने 25.4.08 को एक व्यापक पैकेज की घोषण की। इसमें शामिल है:
- राज्य में उग्रवाद एवं आतंकी हिंसा होने पर अपने घरों को छोड़कर गए और इस समय जम्मू और देश के अन्य विभिन्न भागों में रह रहे कश्मीरी प्रवासियों की कश्मीर वापसी एवं पुनर्वास के लिए एक एक पैकेज;
- उग्रवाद के पीडितों को रोजगार के बदले प्रति परिवार को 5 लाख रुपये की एक बारगी नगद प्रतिपूर्ति।
- उग्रवादी हिंसा में मारे गए सिविलियनों की विधवाओं की पेंशन में वृद्धि;
- उग्रवादी हिंसा में अनाथ हुए बच्चों को शिक्षा के लिए बिना किसी भेदभाव के वित्तीय सहायता
- 1947 में पश्चिमी पाकिस्तान से आए शरणार्थियों के लिए एक पैकेज जिसमें उनके बच्चों का व्यावसायिक एंव अन्य शैक्षणिक संस्थानों में दाखिला सुलभ बनाना, स्वरोजगार/बिजनेस करने के लिए बिना रेहन के बैंक ऋण दिलाना, श्रम एवं रोजगार मंत्रालय की दक्षता विकास पहल के अन्तर्गत युवकों को व्यावसायिक प्रशिक्षण दिलाना शामिल है।
- वर्ष 1947 में पाक अधिकृत कश्मीर से आए शरणार्थियों को भूमि का आबंटन और पुनर्वास संबंधी अन्य उपायों संबंधी जरूरतों को पूरा करने के लिए 49 करोड़ रुपये की राशि का पैकेज।
कश्मीरी प्रवासियों की वापसी एवं पुनर्वास के लिए पैकेज
जम्मू एवं कश्मीर में आतंकी हिंसा/उग्रवाद, खासकर इसके प्रथम चरण में, कश्मीरी पंडित समुदाय के सदस्यों को भारी पैमाने पर कश्मीर घाटी से प्रवास करने के लिए मजबूर किया। पीडित परिवारों को सहायता एवं राहत दिलाने के लिए वित्तीय सहायता/राहत तथा अन्य पहलों के रूप में एक व्यापक नीतिगत ढांचे के अन्तर्गत वर्षों से कई उपाय किए गए हैं जिससे प्रवासी जन घाटी वापस आ जाएंगे। माननीय प्रधानमंत्री जी ने 25-26 अप्रैल 2008 को अपनी कश्मीर यात्रा के दौरान, अन्य बातों के साथ-साथ, घाटी वापस आने वाले कश्मीरी प्रवासियों की वापसी एवं पुनर्वास के लिए एक पैकेज की घोषणा की । इस पैकेज के मुख्या संघटक निम्न्लिखित हैं: आवास
- पूरी तररह से या आंशिक रूप से क्षतिग्रस्त घरों की मरम्मत/पुनर्निर्माण के लिए 7.5 लाख रुपये प्रति परिवार की दर से सहायता
- जर्जर/अप्रयुक्त घरों के लिए 2.00 लाख रुपये प्रति परिवार की दर से सहायता
- 1989 के पश्चात और जम्मू एवं कश्मीर अचल संपत्ति (परिरक्षण, सुरक्षा आर्थिक तंगी में और बिक्री पर नियंत्रण 1997 का 30 मई, 1997 को अधिनियमन होने से पूर्व की अवधि के दौरान अपनी संपत्तियों को बेचने वालों को ग्रुप हाउसिंग सोसायटी में खरीद/निर्माण के लिए 7.5 लाख रुपये प्रति परिवार की दर से सहायता ।
ट्रान्जिट आवास
- वापस आने वाले प्रवासी परिवारों को अपने घर की मरम्मत कराने/उसका पुन:निर्माण करने की अंतिम अवधि के दौरान ट्रान्जिट आवास उपलब्ध कराया जाएगा। इस उद्देश्य के लिए तीन स्थलों पर ट्रान्जिट आवास बनाने का अनुमोदन किया गया है। वापस आने वाले जो परिवार ट्रान्जिट आवास में नहीं रहते हैं उन्हें किराया और आकस्मिक व्यय उपलब्ध कराया जाए।
विद्यार्थी छात्रवृत्ति
- प्रवासी परिवारों के बच्चों को 18 वर्ष की उम्र तक (जिस अपवादिक मामलों में 21 वर्षों की उम्र तक बढ़ाया जा सकता है) 750/- रुपये प्रतिमाह प्रति बच्चा की दर से सहायता दी जाएगी। पात्र विद्यार्थियों को जम्मू एवं कश्मीर की पुनर्वास परिषद की स्कीम के अन्तर्गत व्यावसायिक अध्ययन के लिए भी सहायता प्रदान कराई जाएगी।
रोजगार
- शिक्षित प्रवासी युवकों को राज्य सरकार की सेवा में नौकरी दिलाने और बेरोजगार युवकों को स्वरोजगार के लिए व्यावसायिक प्रशिक्षण दिलाने हेतु वित्तीय सहायता (अनुदान एवं ऋण) देने का निश्चय किया गया है।
कृषकों/बागवानी करने वालों को सहायता
- कृषि भूमि धारकों को 1 लाख रुपये की एक बारगी वित्तीय सहायता प्रदान कराई जाएगी। बगीचों की बहाली के लिए 5.000 रुपये प्रति कनाल की दर से, अधिकतम 1.5 लाख रुपये के अधीन, सहायता।
ऋणों पर बयाज में छूट
- कश्मीरी पण्डितों द्वारा घाटी से प्रवास करने से पहले लिए गए ऋण संघटक पर ब्याज से छूट
घाटी वापस आने और इस पैकेज के अन्तर्गत घोषित सुविधाओं का लाभ उठाने के इच्छुक प्रवासी परिवारों को सलाह दी जाती है कि वे अद्योलिखित, निर्धारित प्रपत्र में आवश्यक जानकारी भरकर उसे राहत आयुक्त (प्रवासी) जम्मू के कार्यालय में और प्रधान रेजिडेंट आयुक्त, जम्मू एवं कश्मीर सरकार, नई दिल्लीं के कार्यालय में प्रस्तुत करें। निर्धारित प्रपत्र
जम्मू एवं कश्मीर के लिए प्रधानमंत्री की पुन:र्निर्माण योजना
- प्रधानमंत्री ने 17 – 18 नवम्बर 2004 को अपनी जम्मू एवं कश्मीर यात्रा के दौरान, लगभग 24000 करोड़ रुपये के परिव्यय से, जम्मू एवं कश्मीर के लिए एक पुनर्निर्माण योजना की घोषणा की थी जिसमें आर्थिक अवस्थापना का विस्तार करने के उद्देश्य से परियोजनाओं/स्कीामों और आधारभूत सेवाओं का प्रावधान करना, रोजगार एवं आय सृजन का बढ़ावा देना तथा स्थानच्युोत लोगों एवं उग्रवाद से पीडि़त परिवारों को राहत एवं पुनर्वासित करने का प्रावधान शामिल है।
- इस पुनर्निर्माण योजना में परिकल्पित परियोजनाओं/स्कीमों का कार्यान्वयन संबंधित मंत्रालयों/विभागों द्वारा राज्य सरकार के साथ परामर्श करके किया जाता है।
- इस पुनर्निर्माण योजना में अर्थव्यवस्था के 11 सेक्टरों को शामिल करते हुए 67 परियोजनाएं/स्कीमें शामिल हैं। उपर्युक्त 67 परियोजनाओं/स्कीमों में से 31 परियोजनाओं/स्कीमों पर कार्रवाई पूरी कर ली गई है। शेष 36 परियोजनाओं/स्कीमों में से 33 परियोजनाएं कार्यान्वयन के विभिन्न स्तरों पर है और 3 तैयारी स्तरों पर हैं।
- पुन:र्निर्माण परियोजना के कार्यान्वयन की प्रगति की गृह मंत्रालय द्वारा मानिटरिंग की जा रही है।
कश्मीरी प्रवासियों के लिए दो कमरों वाले टेन्ट्स का निर्माण
- प्रधानमंत्री की पुन:निर्माण योजना, 2004 के अन्तर्गत केन्द्र सरकार ने कश्मीरी प्रवासियों के लिए जम्मू् में दो कमरों वाले 5242 टेन्ट्स बनाने के लिए एक परियोजना को मंजूरी दी थी। इस परियोजना की कुल लागत 345 करोड़ रुपये है और इसके व्यय को योजना आयोग द्वारा निधियां प्रदान कराई जा रही है। जम्मू में पुरखू मुथी और नगरोटा में दो कमरों वाले 1024 फ्लैट्स बनाने आरंभ किए गए, पहला चरण पूर्ण हुआ और आबंटन किया गया, नगोरोटा के निकट जगाती में बाकी 4218 फ्लैटों का निर्माण जिन्हें सितम्बर 2009 तक पूरा करना निर्धारित था, के कार्य में विलम्ब हुआ है। संशोधित योजना के अनुसार पर्याप्त संख्या में अर्थात 3000 फ्लैटों का निर्माण कार्य पूरा कर लिया जाएगा और सितम्बर 2010 तक आबंटन कर दिया जाएगा तथा शेष कार्य दिसम्बर 2010 तक पूरा कर लिया जाएगा।
क्रम संख्या | शीर्षक | डाउनलोड/लिंक |
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1 | पुनर्वास नीति दिनांक : 31/01/2004 | डाउनलोड (213.98 KB)  |
2 | स्थिति रिपोर्ट–कश्मीरी प्रवासियों की वापसी एवं पुनर्वास के लिए प्रधानमंत्री का पैकेज | |
3 | कश्मीरी प्रवासियों को जम्मू एवं दिल्ली में दी जा रही नगद राहत दर में वृद्धि | डाउनलोड (87.89 KB)  |
4 | मुठी कैम्पो में अधिभोक्ताओं की सूची | डाउनलोड (273.11 KB)  |
5 | अखनूर तहसील से विस्थापित परिवारों की संख्या और ग्रामों की सूची | डाउनलोड (61.89 KB)  |
जम्मू कश्मीर में आतंकी हिंसा का स्तर और सुरक्षा की स्थिति – एक आकलन
- वर्ष 2007 की तुलना में वर्ष 2008 में हुई घटनाओं की संख्याय में 35% और मारे गए सिविलियनों की संख्या में 42%, मारे गए सुरक्षा बल कार्मिकों की संख्या में 32% की कमी आई।
- वर्ष 2008 की तुलना में वर्ष 2009 में घटनाओं की संख्या में 30% की, मारे गए सुरक्षा बल कार्मिकों की संख्या में 15% की और मारे गए सिविलियनों की संख्या में 14% की कमी आई।
- विगत वर्ष की तुलना में वर्ष 2010 (जुलाई 2010 तक) में घटनाओं की संख्या में 11% की और मारे गए सुरक्षा बल कार्मिकों की संख्या में 40% की वृद्धि हुई परन्तु मारे गए सिविलियनों की संख्या में 54% की कमी आई।
- वर्ष 2008 तक 1428 ग्रेनेड हमले हुए जबकि वर्ष 2007 में ग्रेनेड हमलों की 1033 घटनाए हुई। वर्ष 2009 में केवल 978 ग्रेनेड हमले हुए।
- वर्ष 2010 के दौरान (जुलाई तक) 28 ग्रेनेड हमले हुए।
- वर्ष 2008 के दौरान आतंकी घटनाओं का दैनिक औसत 1.93 था जबकि वर्ष 2007 में यह 3.00 रहा। वर्ष 2009 में आतंकी घटनाओं का दैनिक औसत 1.36 रहा।
- वर्ष 2010 में (जुलाई 2010 तक) आतंकी घटनाओं का दैनिक औसत 1.36 रहा
- जम्मू और कश्मीर के संबंध में सुरक्षा संबंधी व्यय
जम्मू एवं कश्मीर में हिंसा की प्रवृत्ति
वर्ष | घटनाएं | मारे गए सुरक्षा बल कार्मिक | मारे गए सिविलियन | मारे गए आतंकवादी |
2004 | 2565 | 281 | 707 | 976 |
2005 | 1990 | 189 | 557 | 917 |
2006 | 1667 | 151 | 389 | 591 |
2007 | 1092 | 110 | 158 | 472 |
2008 | 708 | 75 | 91 | 339 |
2009 | 499 | 64 | 78 | 239 |
जुलाई 2009 तक | 279 | 29 | 52 | 119 |
जुलाई 2010 तक | 310 | 40 | 24 | 130 |